केन्द्रीय विद्यालय ए एफ एस आवडी
प्रश्नोत्तर –पाठ-प्रेमचंद के फटे जूते
1प्रेमचंद के
व्यक्तित्व की विशेषताएँ
उ) 1 सरल साधारण व्यक्ति
2 सीधा सादा व्यक्तित्व
3 साहसी
4 संघर्षशील
5 दार्शनिक, समाज सुधारक
3 व्यंग्य स्पष्ट करो
:- व्यग्य का कत्लब है irony
1 “ जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है ...................................पचीसों
टोपियाँ निछावर होती है “
उ) जूते और टोपी मनुष्य के हीनता और मर्यादा
को दर्शाते है . आज लोग मर्यादा में उतना महत्व
न देकर हीन कार्य में लग जाते है .हीन कार्य से लाभ उठाते और स्वाभिमानी
लोगों को तक अपने
पैरों के नीचे लाते है .कोई –कोई स्वाभिमान भूलकर उन्हीं हीन व्यक्तियों
के जूते पर अपना
स्वाभिमान निछावर करने को तैयार हो जाते है .
2 “तुम परदे का महत्त्व नहीं जनता ...................कुर्बान हो रहा है
“
उ) परदा छिपाने का साधन होता है . बुराइयों को छिपाने की ही कोशिश में
लोग सदा तत्पर रहते है
लेखक ने कहा कि प्रेमचंद के पास छिपाने केलिए कुछ नहीं है
3 “जिसे तुम घृणित ............................से इशारा करते है “
उ) सामाजिक बुराइयों के प्रति प्रेमचंद की प्रतिक्रिया ही अजीबा है ,वे
उसकी तरफ अपना पूरा क्रोध
प्रकट किया है .बुराइयों की ओर
वह पैरों से इशारा किया है .
6 टीला शब्द का प्रयोग .........................
उ) सामाजिक बुराइयों को पतिल्ला बताया है .जो सदियों से समाज में जम गई
है .सभी सामाजिक शोषण को टीला कहकर लेखाका ने कहा प्रेमचंद कभी उसी से समझौता नहीं
किया .ऊँची-नीची की भावना ,जाती-पांति ,छोआ-छूत बाल-विवाह , सती का आचरण आदि कुछ सामजिक
बुराइयां है .
8 वेशभूषा के प्रति ......................
आज वेश भूषा को समाज में बड़ा महत्व पूर्ण स्थान है .लोग व्यक्ति के कपडे
से उसके व्यक्तित्व को परखने लगा है . अच्छे से अच्छे लोगों की वेशभूषा अगर अच्छी नही होती तो समाज उसे आदरर की दृष्टि से नहीं देखते है . लोग
अपने हैसियत जताने हेतु अच्छे कपडे पहनते है . आज सादा कपड़ा पहनना सरल जीवन का प्रतीक
न मानकर पिछडापन समझा जाता है .वेश और फाशन की दुनिया आज सबसे प्रबल बन गया है ,यह
करोड़ों का व्यापार बन गया है . विज्ञापन भी इसकी काफी मदद करते है .
वेष में लोग सुंदर दिखन चाहता है . व्यवहार में उतना अच्छा होने की जरूरत
नहीं है जितना वेशभूषा में .यह समाज के कुल परिवर्तन का परिणाम है .
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